आरज़ू की 'इशरत में जो लज़्ज़त थी, वो मंज़िलों में कहाँ, आरज़ू की 'इशरत में जो लज़्ज़त थी, वो मंज़िलों में कहाँ, मौसम-ए-हिज्राँ में जो रंगीनियाँ थीं, वो महफ़िलों में कहाँ, आरज़ू की 'इशरत में जो लज़्ज़त थी, वो मंज़िलों में कहाँ, वादियों में हम तो ढूँडते रहें, कुछ नई बहारों को, वादियों में हम तो ढूँडते रहें, कुछ नई बहारों को, बाद-ए-सबा जो तुझे छू कर गुज़री, वो ख़ुशबूओं में कहाँ, आरज़ू की 'इशरत में जो लज़्ज़त थी, वो मंज़िलों में कहाँ, अंदाज़-ए-'आशिक़ाना रहा फ़रीद, और आश्ना के लिए, अंदाज़-ए-'आशिक़ाना रहा फ़रीद, और आश्ना के लिए, पर ला'लीं जो तेरे गालों में है, वो इन गुलों में कहाँ, आरज़ू की 'इशरत में जो लज़्ज़त थी, वो मंज़िलों में कहाँ, अँधेरे जो तेरी ज़ुल्फ़ों से पाएँ, वो ग़म के सायों में कहाँ, अँधेरे जो तेरी ज़ुल्फ़ों से पाएँ, वो ग़म के सायों में कहाँ, तल्ख़ियाँ जो ज़िंदगी से पायी, वो कोई ज़हरों में कहाँ, आरज़ू की 'इशरत में जो लज़्ज़त थी, वो मंज़िलों में कहाँ, वैसे तो तेरे जहाँ में मिलें, बहारों के कारवाँ बहुत, वैसे तो तेरे जहाँ में मिलें, बहारों के कारवाँ बहुत, लचक जो तेरे बदन में है, वो फूलों की डालियों में कहाँ, आरज़ू की 'इशरत में जो लज़्ज़त थी, वो मंज़िलों में कहाँ, आरज़ू की 'इशरत में जो लज़्ज़त थी, वो मंज़िलों में कहाँ, मौसम-ए-हिज्राँ में जो रंगीनियाँ थीं, वो महफ़िलों में कहाँ, आरज़ू की 'इशरत में जो लज़्ज़त थी, वो मंज़िलों में कहाँ,
'इशरत - enjoyment, mirth, pleasure, comfort, joy, happiness, delight
मौसम-ए-हिज्राँ – Time of Separation
बाद-ए-सबा – Morning Breeze
अंदाज़-ए-'आशिक़ाना - fascinating manners of loving someone
फ़रीद - matchless
आश्ना - acquaintance, love
तल्ख़ियाँ - bitternesses
कारवाँ - caravan, group of people travelling together
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