ये दिल अब यूँ ही खोने लगा है, ये दिल अब यूँ ही खोने लगा है, दिल की तो अब ख़ैर नहीं, लगता है मोहब्बत करने लगा है, शायद वो अब ग़ैर नहीं, ग़ैर नहीं, ग़ैर नहीं, शायद वो अब ग़ैर नहीं, ग़ैर नहीं, ग़ैर नहीं, तुमहें जब जब मिलने आती हूँ, आइने का ख़याल आ जाता है, मन ही मन सोचने लगती हूँ, क्यूँ गुज़ारा तेरे बग़ैर नहीं, छूता है तू जब मेरे हाथों को, बर्क़ सी रगों में दौड़ जाती है, मैं तो सहम के रह जाती हूँ, तेरे छूने से हाँ कोई बैर नहीं, शायद वो अब ग़ैर नहीं, ग़ैर नहीं, ग़ैर नहीं, शायद वो अब ग़ैर नहीं, ग़ैर नहीं, ग़ैर नहीं, तेरी बाहों में मैं पिघल जाऊँ, साँसों में तेरी यूँ घुल जाऊँ, खुली आँखों में है ख़्वाब तेरे, बिन तेरे ख़ुशी भी बिल-ख़ैर नहीं, चाहूँ कि ये पल थम जाए यहीं, काश मैं ना इक़रार करुँ, चाहूँ मैं कि वो मनाए मुझे, मुझ में है क्या उस में वो फ़ैर नहीं, शायद वो अब ग़ैर नहीं, ग़ैर नहीं, ग़ैर नहीं, शायद वो अब ग़ैर नहीं, ग़ैर नहीं, ग़ैर नहीं, शान पे तेरी मैं झुकती हूँ, तेरी ही साँसें मैं भरती हूँ, हर महफ़िल में तुझे ढूँढती हूँ, लगता है मेरी अब ख़ैर नहीं,
बर्क़ - lightning, electricity
बिल-ख़ैर - happy
नई-सैर - a new amusement, pastime
गिराँ-सैर - hard time
फ़ैर - fire
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