सपना बनी है हर ख़ुशी, एक तेरे ख़्वाब में, अपना नहीं है अब, कोई भी तेरे बाब में, इतने हैं बद-गुमान वो के पूछते हैं अब, होता है अब सवाल क्यूँ, हर एक जवाब में, सपना बनी है हर ख़ुशी, एक तेरे ख़्वाब में, अपना नहीं है अब कोई भी तेरे बाब में, उन पे निखार आए क्यूँ ऐसा 'इताब में, जैसे कि आफ़ताब घुले माहताब में, हमने तो रख दिया है, कलेजा निकाल के, दिखते हैं जूठ क्यूँ उसे, फिर हर सवाब में, शाहिद है रंग, हमारी वफ़ा के, गुलाब में, चाहो तो ख़ूँ-ए-दिल, मैं मिला दूँ शबाब में, सपना बनी है हर ख़ुशी, एक तेरे ख़्वाब में, अपना नहीं है अब, कोई भी तेरे बाब में, आगे हैं आइने के जो नाज़-ओ-अदा में वो, है ये सराब रेत में के मय सराब में, अब तक जो थे नदीम, बने हैं रक़ीब वो, साक़ी पिलाए ज़हर, मिला कर शराब में, छुपते कहाँ हैं हुस्न के तेवर हिजाब से, कितने किये सितम, ज़रा लाए हिसाब में, सपना बनी है हर ख़ुशी, एक तेरे ख़्वाब में, अपना नहीं है अब, कोई भी तेरे बाब में,
बाब - door, royal court
बद-गुमान - suspicious
निखार – elegance, brilliance, grace
'इताब - anger
आफ़ताब - sun
माहताब - moon
सवाब - truth
शाहिद - witness
ख़ूँ-ए-दिल - blood of heart
शबाब – zenith of beauty and youth
नाज़-ओ-अदा - graces, coquetry and style
मय - wine
सराब - mirage
नदीम - closest friends
रक़ीब – enemy
साक़ी – one who serves wine and here metaphorically sweetheart
ज़हर – poison but used here as a metaphor for her suspicious nature
शराब – wine but used here as a metaphor for her intoxicating beauty
तेवर – showing unhappiness and anger by changing looks on one’s face
हिजाब – veil worn by a woman
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